तनु गुर्जर मर्डर केस: चचेरे भाई ने पहले मारी थी, गोलियां, मर गई तो पिता ने अपने सिर इल्जाम लेने के लिए किया फायर….
चाचा-भतीजे साथ में फरार हुए, महेश लौट आया...

तनु गुर्जर मर्डर केस: चचेरे भाई ने पहले मारी थी, गोलियां, मर गई तो पिता ने अपने सिर इल्जाम लेने के लिए किया फायर….
ग्वालियर। पिंटो पार्क स्थित आदर्श नगर में झूठी शान के लिए तनु गुर्जर की हत्या करने वाला उसका पिता महेश गुर्जर और चचेरा भाई राहुल गुर्जर पुलिस हिरासत में हैं। इकलौती बेटी की मौत को तीन दिन बीत चुके हैं,
लेकिन महेश को कोई मलाल नहीं है।अब एक और कहानी सामने आई है। तनु की जब काउंसलिंग चल रही थी, तो महेश को लगा, वह नहीं मानेगी तो उसने राहुल को इशारा कर दिया। चाचा का इशारा मिलते ही राहुल ने गोलियां चलाई…
बरई ब्लॉक के गांव – गांव जाकर, मोबाइल मेंडीकल यूनिट (एम्बुलेंस) करेगी उपचार…
एक के बाद एक तीन गोलियां लगने के बाद तनु की मौत हो गई। इसके बाद अपने भतीजे को बचाने महेश ने अपने सिर इल्जाम लेने के लिए कट्टे से गोली चलाई। फिर राहुल से पिस्टल ली, उसे कुछ दूरी पर छोड़कर खुद दोनों हथियार लेकर वापस आ गया। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से जब घटना की जानकारी ली गई, तब यह हकीकत सामने आई…
चाचा-भतीजे साथ में फरार हुए, महेश लौट आया…
राहुल के पास पिस्टल थी और महेश के पास कट्टा था। जैसे ही बात बिगड़ी तो राहुल ने गोलियां मार दी। चाचा-भतीजे साथ में फरार हुए, लेकिन महेश लौट आया। तब तक सीएसपी नागेंद्र सिंह सिकरवार फोर्स के साथ पहुंच गए थे…
मौके पर महेश ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि उसने अपने बेटी को मार दिया है। एक हाथ में कट्टा और दूसरे हाथ में पिस्टल लिए महेश ने यह भी कहा कि उसने दोनों हाथ से गोलियां चलाई हैं। हत्याकांड में राहुल का कोई हाथ नहीं है…
पहले ही तय कर चुके थे, नहीं मानी तो मार डालेंगे…
इस मामले में महाराजपुरा थाना पुलिस की जो टीम काउंसलिंग के लिए गई थी, वह महेश और राहुल के इरादे भांपने में चूक गई। यह हथियार पहले से ही रखे हुए थे। पहले ही तय कर चुके थे कि अगर तनु शादी के लिए नहीं मानी तो उसे मार डालेंगे। अगर पुलिस इन्हें थाने लेकर समझाती तो शायद यह घटना बच जाती…
घटना का समर्थन कर रहे कुछ लोग, पुलिस बनी फरियादी…
इस घटना का समर्थन कुछ लोग कर रहे हैं। इसमें महेश के कुछ परिचित भी शामिल हैं। इस स्थिति को देखते हुए पुलिस ही खुद फरियादी बनी है। अगर तनु के घर से किसी को फरियादी बनाया जाता तो मामला दबा दिया जाता।कोर्ट में आरोपी बच सकते थे, इसके चलते पुलिस फरियादी बने। जिससे राजीनामा, गवाह पलटने जैसी स्थिति न बने…
यह भी पढ़े
संभागायुक्त से मिले, मेला व्यापारी : रोड टैक्स में छूट के साथ मेला के विधिवत शुभारंभ का आग्रह…