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हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बंधुआ आदिवासी को ले जाने की कोशिश, हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी…

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बंधुआ आदिवासी को ले जाने की कोशिश, हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी...

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बंधुआ आदिवासी को ले जाने की कोशिश, हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी…

ग्वालियर: चंबल अंचल में दबंग आज भी आदिवासियों को बंधुआ बनाकर रखना चाहते हैं. हालात ये हैं कि हाईकोर्ट में एक केस की सुनवाई के दौरान भी दबंगों ने फरियादी आदिवासी को जबरन कोर्ट रूम से बाहर ले जाने का प्रयास किया. जिसको लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट खंडपीठ ने भी जमकर नाराजगी जताई…

क्या है, पूरा मामला…

यह मामला अशोकनगर की ईसागढ़ तहसील का है, यहां की रहने वाली मुन्नीबाई आदिवासी 29 जनवरी को महाकुंभ नहाने गई थी लेकिन वह वापस नहीं आई. जिसकी मिसिंग रिपोर्ट दो फरवरी को उसके पति छोटेलाल आदिवासी ने दर्ज कराई थी. इसके बाद फरियादी पति छोटेलाल आदिवासी ने यह बताया कि, उसे सूचना मिली है कि उसके रिश्तेदारों ने पत्नी मुन्नीबाई को जबरन जमीन हड़पने को लेकर बंधक बनाकर रखा गया है. मुन्नीबाई के नाम अकालोन, बृजपुरा और कुलवर्ग गांव में करीब 4.87 हेक्टेयर जमीन है. इसे लेकर बाद में ग्वालियर हाई कोर्ट खंडपीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी लगायी गई थी…

पति को भी, बंधुआ मजदूर बनाकर रखा है…

मंगलवार को इस केस में सुनवाई के लिए अशोकनगर पुलिस ने बुजुर्ग महिला मुन्नीबाई को हाईकोर्ट में पेश किया. वकील विभोर साहू ने बताया कि “सुनवाई के दौरान मुन्नी बाई ने न्यायालय को बताया था कि असल में अपील करने वाला उसका पति छोटेलाल आदिवासी को ही उसके मालिकों ने बंधुआ मजदूर बनाकर रखा है. ये लोग उसे कहीं आने जाने नहीं देते. उसने कोर्ट में गुहार लगाई कि उसके पति से उसे मिलवा दें. कोर्ट में पेश हुई बुजुर्ग महिला की बात सुनने के बाद पुलिस ने मामले में आरोपी बनाए गए रिश्तेदार जिनमें मुन्नीबाई की बेटी उसके पति और सास को भी पेश किया और न्यायालय ने उनसे बात की…

केस पर, कोर्ट ने की टिप्पणी…

कोर्टरूम में हुई इतनी बात के बाद याचिकाकर्ता छोटेलाल के वकील ने न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता शाम 4 बजे तक न्यायालय में पेश हो जाएगा. हालांकि कोर्ट ने इस पर टिप्पणी भी कि, छोटेलाल को देखकर नहीं लगता कि, उसके पास कोई लग्जरी कार होगी क्योंकि इतनी दूरी से सिर्फ एक अच्छी गाड़ी में ही अशोकनगर से ग्वालियर सिर्फ 4 घंटे में पहुंचा जा सकता है. ऐसा लग रहा है कि, शायद छोटेलाल डमी है केस कोई और ही लड़ रहा है. इसके बाद उच्च न्यायालय को यह बात समझ आ गई थी कि यह मामला बंधुआ मजदूरी से जुड़ा हुआ है. इसमें कुछ पॉलिटिकल और दबंग रसूख वाले लोग शामिल हैं जो आदिवासियों की जमीन किसी तरह हड़पकर अपने लोगों के नाम ट्रांसफर कराना चाहते हैं…

कोर्ट रूम से फरियादी को, गायब करने की कोशिश…

कोर्ट द्वारा निर्धारित समय 4 बजे इस याचिका पर दोबारा सुनवाई शुरू हुई. इसी बीच फरियादी छोटेलाल अपने मालिक पूर्व सरपंच हरदीप सिंह रंधावा के साथी गौरव और उसके पिता धर्मपाल शर्मा के साथ कोर्ट पहुंचा. जब फरियादी पीछे की बेंच पर बैठा हुआ था इसी दौरान पूर्व सरपंच रंधावा के साथी उसे ले जाने की कोशिश करते दिखे. जैसे ही कोर्ट की नजर उनकी इस हरकत पर पड़ी तो दोनों को कोर्ट रूम से बाहर निकाल दिया गया. इस बात पर कोर्ट ने जमकर नाराजगी भी जाहिर की…

फरियादी बोला, पत्नी के साथ रहना चाहता है…

फरियादी छोटेलाल ने कोर्ट को बताया कि “वह अपनी पत्नी के साथ रहना चाहता है. अब वह अपने मालिकों के साथ नहीं रहना चाहता.” न्यायालय की समझ आ रहा था कि लंबे समय से छोटेलाल आदिवासी अशोकनगर ग्राम शंकरपुर के पूर्व सरपंच हरदीप सिंह रंधावा के यहां बंधुआ मजदूर की तरह लंबे समय से काम कर रहा था और वे उसे पूरी तरह कंट्रोल कर रहे थे. फरियादी छोटेलाल की पत्नी मुन्नी बाई दूसरी जगह काम करती थी, जिसके नाम प्राइम लोकेशन पर 20 बीघा जमीन है और इस तरह आदिवासियों से उनकी जमीन हड़पने के लिए इस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है…

हाईकोर्ट ने, कलेक्टर एसपी को दिए निर्देश…

हाईकोर्ट ने आदिवासी दंपति को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए. साथ ही याचिका पर सुनवाई कर रही बेंच ने अशोकनगर के कलेक्टर और एसपी को आदेशित किया गया है कि “बीते 10 साल में अशोकनगर जिले में जितनी भी आदिवासियों की जमीन अन्य आदिवासियों को ट्रांसफर की गई है उनका रिकॉर्ड अशोकनगर कलेक्टर अगली सुनवाई में न्यायालय के समक्ष पेश करें. साथ ही कहा है कि अशोकनगर जिले में जितने भी आदिवासी मजदूर प्रभावशाली लोगों के यहां बंधुआ मजदूरों की तरह काम कर रहे हैं, जिनके नाम आदिवासी जमीन हैं और जमीन हड़पने के उद्देश्य से उनसे काम कराया जा रहा है, ऐसे लोगों को पुलिस द्वारा उनके मालिकों से मुक्त कराया जाए और उन मालिकों पर कार्रवाई की जाए…

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