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नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री पक्षकार “मेधा पाटेकर” की तरफ से एड.विश्वजीत रतौनिया ने की न्यायालय राजस्व मंडल ग्वालियर में की, अपील पिटीशन पेश…

एड.विश्वजीत रतौनिया ने की न्यायालय राजस्व मंडल ग्वालियर में की, अपील पिटीशन पेश...

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री पक्षकार “मेधा पाटेकर” की तरफ से एड.विश्वजीत रतौनिया ने की न्यायालय राजस्व मंडल ग्वालियर में की, अपील पिटीशन पेश…

 

जैसा कि आपको ज्ञात है खरगौन स्थित सेंचुरी मिल जिन्होंने स्टांप में हेरा फेरी की और इस हेरा फेरी की एवज में अपने वर्कर को हटाने का प्रयास किया इन वर्कर के हक अधिकार की लड़ाई और स्टांप धोखाधड़ी के खिलाफ हमेशा से लड़ाई लड़ी है।

कलेक्टर ऑफ स्टाम्प और माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के माध्यम से न्यायालीन लड़ाई भी लड़ी है और कलेक्टर ऑफ स्टाम्प खरगौन के आदेश के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ के डायरेक्शन के अनुसार आज ग्वालियर स्थित न्यायालय राजस्व मंडल मध्य प्रदेश में अपील पिटीशन प्रस्तुत की है।

जुलाई 2021 में मिल्स की बिक्री भी 62 करोड रुपए में(नहीं 426 करोड़ में) थी, जिस पर फर्जीवाड़े की शिकायत श्रमिकों से और श्रमिक जनता संघ की ओर से भी रजिस्ट्रार- स्टम्प्स के समक्ष दर्ज की, सभी सबूत, कागजातों के साथ और सुनवाई भी हुई। सेंचुरी और मनजीत कंपनियों ने प्रतिवादी के नाते 10 महीने बाद जवाब दिया, जब तक “प्रथम दृष्टि से स्टांप ड्यूटी/शुल्क पर्याप्त नहीं दिया गया है।” यह सूचना पांच बार देने वाले रजिट्रार बदल गए और नए रजिस्ट्रार ने कंपनियों का जवाब मंजूर करते हुए, शिकायत पर जांच और निर्णय का अधिकार उन्हें नहीं होने के दावे के साथ प्रकरण खारिज किया।

उच्च न्यायालय ने इसके खिलाफ दर्ज की श्रमिक संघ की याचिका में मुख्य राजस्व बोर्ड के समक्ष यह प्रकरण ले जाने का आदेश दिया।

सबसे महत्व की याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल करनी पड़ी, जबकि श्रमिक संघ ने दूसरी बार की बिक्री पर श्रम आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत किए विवाद पर कोई समझौता बैठक भी ना लेते हुए, उसे औद्योगिक न्यायालय/ट्रिब्यूनल में प्रस्तावित करना श्रम आयुक्त से नकारा गया। इस पर उच्च न्यायालय की एकल और डिवीजन दोनों खंडपीठ ने श्रमायुक्त का निर्णय गैर कानूनी बताकर ट्रिब्यूनल में प्रस्तुत करवाया…

 

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