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बीजेपी ने लिया रामनिवास रावत से, इस्तीफ़ा…

जनता के बाद, पार्टी से भी हारे...

बीजेपी ने लिया रामनिवास रावत से, इस्तीफ़ा…

जनता के बाद, पार्टी से भी हारे…

कैबिनेट मंत्री रहते हुए उपचुनाव हारने का कीर्तिमान स्थापित करने वाले, रामनिवास रावत के बुरे दिन शुरू हो चुके हैं। अपनी ही पार्टी से ग़द्दारी कर मंत्री पद की मलाई चाटने की फ़िराक़ में बीजेपी में शामिल हुए रामनिवास रावत को पहले दिन में जनता ने धूल चटाई और शाम होते होते पार्टी ने इस्तीफ़ा माँगकर दुत्कारने की बचीकुची कसर भी पूरी कर दी…

बताया जा रहा है कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने से पहले रामनिवास रावत ने, पड़े पैमाने पर सौदे किए थे। रामनिवास रावत के सौदों में मंत्री पद और नकद के अतिरिक्त भी बहुत कुछ था, जिसे बीजेपी ने मजबूरन स्वीकार ज़रूर कर लिया था, लेकिन रामनिवास रावत को राडार पर भी रख लिया था…

कहा तो यह भी जा रहा है कि, कांग्रेस को दगा देकर बीजेपी सरकार में मंत्री बनने वाले रामनिवास रावत ने अपने दो महीने के कार्यकाल में ही भ्रष्टाचार से घर भरने के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये थे, मजबूरन बीजेपी ने रामनिवास रावत को निपटाने की योजना पर कार्य किया और आज रामनिवास रावत की हैसियत धोबी के कुत्ते जैसे कर दी है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर बेशक एक दूसरे के धुर विरोधी हों, लेकिन दोनों पहली बार रामनिवास रावत को पराजित करने के लिए एक साथ होकर काम कर गये। मोहन यादव ने रामनिवास रावत को जिताने के लिये सारे घोड़े खोल दिये, लेकिन जिसका खुद का कोई राजनीतिक आधार नहीं, वो भला कांग्रेस की रणनीति के सामने कैसे टिक पाता, नतीजतन मोहन यादव अपनी सरकार के साथ अपने प्रत्याशी को भी लेकर डूब गये।

रामनिवास रावत की ग़द्दारी को जनता ने नकार कर यह बता दिया है कि, सौदेबाज़ी और सौदेबाज़ों को जनता रगड़े की, दौड़ायेंगी और ज़मींदोज़ कर परमानेन्ट निपटायेगी। वहीं बीजेपी ने रामनिवास रावत से, हारते ही उनका इस्तीफ़ा माँगकर यह साबित कर दिया की बीजेपी को हीरे चाहिए, नक़ली पत्थर नही…

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