नई दिल्ली: भारत का एक ऐसा गांव जहां हर घर में हैं टीचर, लोग कहते हैं “गुरुओं का गांव”…
गुरुओं का गांव...

नई दिल्ली: भारत का एक ऐसा गांव जहां हर घर में हैं टीचर, लोग कहते हैं “गुरुओं का गांव”….
नई दिल्ली: हर इंसान के जीवन में शिक्षक का एक खास महत्व होता है। शिक्षक ही वो हस्ती है जो एक इंसान को अज्ञानता से ज्ञान की तरफ ले जाता है।
इसी के चलते हर साल शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। आज हम शिक्षक दिवस के मौके पर भारत के दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश में स्थित 5 हजार जनसंख्या वाले ऐसे अनोखे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां करीब 500 तो शिक्षक ही हैं। प्रेरणा की बात ये है कि आने वाली पीढ़ी भी गांव की इसी शान को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। गांव के बच्चे भी पढ़-लिखकर शिक्षक ही बनना चाहते हैं।
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक ऐसा अनोखा गांव है, जहां के बारे में एक चर्चित धारणा है कि कोई हवा में पत्थर न उछाले, क्योंकि वो जाकर किसी शिक्षक को लग सकता है। नरसिंहपुर जिले के इस अनोखे गांव का नाम है सिंहपुर। गांव के लोगों का कहना है कि ‘ हमारी यही कामना है कि गांव की अगली पीढ़ी भी इसी राह पर आगे बढ़े। क्योंकि, शिक्षक होना गर्व की बात है। इंसान तो एक दिन इस दुनिया से चला जाता है, लेकिन किसी को बांटा जाने वाला ज्ञान या शिक्षा ही अमर रहती है। गांव के हर एक शख्स की यही सोच है कि उनकी पीढ़ियां भी देश को शिक्षित बनाने के प्रयास में सहयोग करती रहें।
आने वाली पीढ़ी भी बने टीचर- ग्रामीण…
सिंहपुर गांव के हर माता-पिता का ये ही सपना है कि जिस तरह वो खुद या उनके परिवार के सदस्य शिक्षक हैं, उसी तरह उनका बेटा या बेटी भी शिक्षक ही बनें। शिक्षा ही वह ताकत है जो समाज को आगे बढ़ाती है और जो गौरव बीती 5-7 पीड़ियों से बना हुआ है, वो आगे भी इसी तरह जारी रहे। शिक्षक बनकर जिस गर्व की अनुभूति उन्हें महसूस होती है, उनके बच्चे भी उसी गर्व को महसूस करें।
एक परिवार में हैं दस टीचर…
नरसिंहपुर के गांव सिंहपुर की आबादी 5500 के आसपास है, जिसमें 400-500 शिक्षक इस गांव में हैं। गांव के रहने वाले राजेश कुमार शर्मा का कहना है कि, उनके माता-पिता ने ऐसे संस्कार दिए कि उनके परिवार में 10 शिक्षक हैं।
कई शिक्षकों को मिल चुका राष्ट्रपति पुरुस्कार…
गांव के ही आशीर्वाद शर्मा का कहना है कि उनके माता-पिता इसी गांव में स्कूल टीचर थे, वो भी यहीं से पढ़े हैं। यहां बहुत से ऐसे शिक्षक हैं, जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है।
शिक्षक दिवस का इतिहास…
भारत में शिक्षकों के सम्मान में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस में मनाया जाता है। ये दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। शिक्षक दिवस की शुरुआत 5 सितंबर 1962 में हुई थी। डॉं. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक विद्वान, शिक्षक और प्रसिध्द दार्शनिक हस्ती थे। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे कई कार्य किए जिसके चलते हर साल उनके जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये दिन छात्रों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता।